Tuesday 2 June 2009

पहाडों की आवाज़ -पहाडों के मीठे गीत

सबसे पहले मैं बात करना चाहती हूँ पहाडों में गाये जाने वाले गीतों के बारे में जिनकी आवाज़ कानो में पड़ते ही मन खुश हो जाता है ,आत्मा प्रसन्न हो जाती है हजारों ऐसे गीत हैं जो मैं बचपन से सुनती आई हूँ ,इनमे से मेरा एक प्रिय गीत है-
पारी डाना घुघूती बासी,मेरो मन उदासी लागी,
कह पपी, सुवा की नराई लागी .........................
ऐसे ही कई गीत जिनकी मिठास और रस को मैं दिल की गहराइयों से महसूस करती हूँ......पहाडों में गाये जाते हैं ।हर व्रत ,त्यौहार, शादी -ब्याह सभी के लिए अलग अलग गीत गाये जाते हैं होली पर गाये जाने वाले पहाड़ी गीतों की तो बात ही कुछ और होती है ,ये गीत बहुत ही मस्ती और उमंग से भरे होते हैं अभी मैंने पहाड़ी गीतों से आपका बहुत ही छोटा सा परिचय ही कराया है ....जैसे जैसे मैं ब्लॉग को आगे बढाती जाउंगी तो साथ ही साथ नए पुराने पहाड़ी गीतों को उनके अर्थ सहित आपके सामने लाऊंगी बस आप मेरे साथ बने रहिये ..........धन्यवाद

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