Monday 8 June 2009

नैनीताल


ये वादियाँ ,ये फिजाएं बुला रही हैं हमे ..............
गर्मियों की छुट्टियाँ हो तो परिवार के साथ कहीं घूमने ,सैर सपाटा,मस्ती करने का मूड तो बन ही जाता है. ऐसे में जब सूरज अंगारे बरसा रहा हो तो कोई भी ठंडी जगहों पर घूमने जाना चाहेगा .उत्तराखंड में ऐसे कई स्थान हैं जहाँ छुट्टियों का भरपूर मजा उठाया जा सकता है, इनमे से एक है नैनीताल....
नैनीताल -इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है .चरों तरफ पहाडियों से घिरे इस शहर का मुख्य आकर्षण यहाँ की झील है .इस झील की खास बात यह है कि इसमें चारों तरफ फैले पहाडों ,पेड़ों कि चाय एकदम साफ़ दिखाई देती है.ताल में तैरती हुई बतखों का झुंड ,इठलाती हुई नौकाएं बहुत ही खूबसूरत लगती हैं .रात के समय जब पूरा नैनीताल रौशनी से जगमगा रहा होता है तब झील में थिरकती रंग-बिरंगी नौकाएं ,आसमान में चमकते चाँद-सितारे मिलकर ऐसा मनमोहक शमा बांध देते हैं कि मन खुश हो जाता है.गमियों में ताल का पानी हरा ,बरसात में मटमैला और सर्दियों में हल्का नीला दिखाई पड़ता है.
मॉल रोड -झील के एक तरफ मल्लीताल और दूसरी तरफ तल्लीताल है .मल्लीताल को तल्लीताल से जोड़ने वाली रोड को मॉल रोड कहा जाता है. यूँ तो देश विदेश से आये लोग चौबीसों घंटे घुमते दिखाई पद जाते हैं लेकिन शाम ढलते ढलते मॉल रोड पर मौज मस्ती करने वालों का हुजूम ही उमड़ पड़ता है.शाम से ही बड़े वाहनों के यहाँ आनेपर रोक लग जातो है .लोग पैदल ही घुमते ,सैर करते दिखाई देते हैं. यहाँ बहुत सरे होटल,रेस्तरां ,दुकाने हैं जहाँ रहने खाने और जरुरत के सभी सामान आसानी से मिल जाते हैं.सभी पर्यटकों के लिए मॉल रोड आकर्षण का मुख्य केंद्र है
चोटियाँ - यहाँ पर कई सारी ऊंची ऊंची चोटियाँ हैं ,जो इस शहर कि खूबसूरती में चार चाँद लगा देती हैं और आने वालो के मन पर गहरी चाप छोड़ती हैं .
चाइना पीक -यह शहर की सबसे ऊंची चोटी है। यह लगभग २६११ मीटर की ऊँचाई पर है. यहाँ एक ओर बर्फ से ढका हिमालय और दूसरी ओर से पूरा नैनीताल शहर दिखाई देता है .किलबरी -यह लगभग २५२८ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है .पिकनिक मनाना हो या प्रकृति का आनंद लेना हो ,सभी के लिए यह बहुत अच्छी है. इसके अलावा देवपाता,कामेल्स-बैग,टिफिन-टॉप ,स्नो-व्यू,और हनी-बनी...आदि चोटियाँ हैं जहाँ आप एक बार जायेंगे तो बार बार जाना चाहेंगे.नैनीताल जितना खूबसूरत है उसके आसपास क स्थान भी उतने ही मोहक हैं ,इनमे से एक है , हनुमान गढ़ी - ये सैलानियों ,पर्यटकों ,और धार्मिक यात्रियों ,सभी के लिए आकर्षण का केंद्र है. यहाँ से पहाडों की कई चोटियाँ और मैदानी भागों के बहुत ही सुन्दर दृश्य दिखाई देते हैं ।
भीमताल - ये छोटा सा शहर नैनीताल से लगभग २२ किलोमीटर दूर है .यहाँ का सबसे प्रसिध पर्यटक स्थल भीमताल झील है ,जिसके मध्य में एक छोटा सा द्वीप है। नौकुचियाताल - ये ताल भीमताल से लगभग ४ किलोमीटर दूर है ।इस ताल की यह विसेषता है की इसके नौ कोने हैं ,इसीलिए इसको नौकुचियाताल कहा जाता है । सात ताल - उत्तराखंड के सभी तालों में सात ताल का जो अनोखा और नैसर्गिक सौंदर्य है वह भी देखने योग्य है। यह नैनीताल से २१ किलोमीटर की दूरी पर है. इस ताल की विशेषता यह है कि लगातार सात ताल एक दुसरे से जुड़े है हैं ।इसी कारण इसे देखने लोग दूर दूर से आते हैं .

उत्तराखंड ऐसे ही कई दर्शनीय स्थानों से भरा हुआ है .खूबसूरती का साथ देकर देकर माहौल को और भी खुशनुमा बनाने के और मौसम भी हमेसा तैयार रहता है. यहाँ जो भी एक बार आता है वो ये गुनगुनाये बिना नहीं रह पता कि -हुस्न पहाडों का ...... बारहो महीने यहाँ मौसम जाडों का ......

Thursday 4 June 2009

पूर्णागिरी मन्दिर

पूर्णागिरी देवी मन्दिर टनकपुर से लगभग २० किलोमीटर दूर है । समुंद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग ३००० किलोमीटर है।पूरे वर्ष दूर दूर से लोग यहाँ दर्शनों के लिए आते हैं और विशेषकर नवरात्रियों में यहाँ दर्शनों के लिए भीड़ ही उमड़ पड़ती हैं। इस मन्दिर से लोगो की आस्था का जुडाव बहुत ही गहरा है। लोग यहाँ आते हैं और मन्नत मांगकर मन्दिर के आसपास ही एक धागा बांधते हैं और जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो आकर यह धागा खोल देते हैं।

Tuesday 2 June 2009

पहाडों की आवाज़ -पहाडों के मीठे गीत

सबसे पहले मैं बात करना चाहती हूँ पहाडों में गाये जाने वाले गीतों के बारे में जिनकी आवाज़ कानो में पड़ते ही मन खुश हो जाता है ,आत्मा प्रसन्न हो जाती है हजारों ऐसे गीत हैं जो मैं बचपन से सुनती आई हूँ ,इनमे से मेरा एक प्रिय गीत है-
पारी डाना घुघूती बासी,मेरो मन उदासी लागी,
कह पपी, सुवा की नराई लागी .........................
ऐसे ही कई गीत जिनकी मिठास और रस को मैं दिल की गहराइयों से महसूस करती हूँ......पहाडों में गाये जाते हैं ।हर व्रत ,त्यौहार, शादी -ब्याह सभी के लिए अलग अलग गीत गाये जाते हैं होली पर गाये जाने वाले पहाड़ी गीतों की तो बात ही कुछ और होती है ,ये गीत बहुत ही मस्ती और उमंग से भरे होते हैं अभी मैंने पहाड़ी गीतों से आपका बहुत ही छोटा सा परिचय ही कराया है ....जैसे जैसे मैं ब्लॉग को आगे बढाती जाउंगी तो साथ ही साथ नए पुराने पहाड़ी गीतों को उनके अर्थ सहित आपके सामने लाऊंगी बस आप मेरे साथ बने रहिये ..........धन्यवाद

Monday 1 June 2009

फूलों की घाटी से परिचय

मैं आज एक नया ब्लॉग शुरू कर रही हूँ जिसमें मैं अपनी जन्मभूमि उत्तराखंड से आपको रूबरू करवाना चाहती हूँ । आशा है आप सभी को मेरा प्रयास पसंद आएगा।